अगर आप इंदौर या मध्यप्रदेश में संपत्ति रजिस्ट्री, मॉर्गेज या डॉक्यूमेंटेशन कराना चाहते हैं, तो Namo Legal Labs आपकी सबसे सुरक्षित पसंद है। संपत्ति रजिस्ट्री (Property Registry) एक कानूनी प्रमाण है जो यह सुनिश्चित करता है कि खरीदी गई संपत्ति अब आधिकारिक रूप से खरीदार की है और उसके स्वामित्व का एक पुख्ता रिकॉर्ड स्थापित करता है। भारत में, अचल संपत्ति के हर लेन-देन के लिए रजिस्ट्री करना कानूनन अनिवार्य है। यह प्रक्रिया खरीदार और विक्रेता दोनों के अधिकारों की रक्षा करती है और भविष्य में होने वाले किसी भी विवाद को रोकने में मदद करती है। 👉 उदाहरण के तौर पर, इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में रोज़ाना हजारों संपत्ति सौदे होते हैं। इन सौदों में सही दस्तावेज और समय पर रजिस्ट्री के बिना, भविष्य में स्वामित्व संबंधी विवाद, धोखाधड़ी या कानूनी परेशानी होने की संभावना बढ़ जाती है। रजिस्ट्री न केवल स्वामित्व को वैध बनाती है, बल्कि यह सरकार के राजस्व के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क के माध्यम से एकत्र होता है।📝 भारत में संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स संपत्ति की रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता दोनों को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। ये दस्तावेज पूरे भारत में लागू होते हैं और इंदौर जैसे शहरों में भी इनका विशेष महत्व है। इन दस्तावेजों की सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करना एक सुचारू रजिस्ट्री प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिक्री के लिए समझौता (Agreement to Sell): यह खरीदार और विक्रेता के बीच किया गया एक प्रारंभिक कानूनी समझौता होता है, जिसमें संपत्ति की बिक्री की शर्तें, मूल्य और अन्य विवरण उल्लिखित होते हैं। यह भविष्य की बिक्री विलेख का आधार बनता है। विक्रय विलेख (Sale Deed): यह संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण का सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है। इसमें संपत्ति का विस्तृत विवरण, खरीदार और विक्रेता का नाम, लेन-देन की राशि और अन्य प्रासंगिक जानकारी शामिल होती है। प्रतिबंध प्रमाण पत्र (Encumbrance Certificate): यह प्रमाण पत्र दर्शाता है कि संपत्ति पर कोई ऋण, मॉर्गेज या अन्य कानूनी देनदारी नहीं है। यह खरीदार को संपत्ति पर किसी भी अज्ञात बोझ से बचाता है। संपत्ति कर रसीदें (Property Tax Receipts): यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति पर कोई बकाया कर नहीं है, पिछले कुछ वर्षों की संपत्ति कर भुगतान की रसीदें आवश्यक होती हैं। नो-ऑब्जेक्शन प्रमाण पत्र (NOC): यदि संपत्ति किसी हाउसिंग सोसाइटी या अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है, तो संबंधित अथॉरिटी से NOC की आवश्यकता हो सकती है। यह दर्शाता है कि उन्हें संपत्ति की बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं है। पावर ऑफ अटॉर्नी (यदि लागू हो): यदि खरीदार या विक्रेता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकते हैं, तो एक अधिकृत व्यक्ति उनकी ओर से कार्य करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी प्रस्तुत कर सकता है। स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान प्रमाण पत्र: स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान संपत्ति के पंजीकरण के लिए अनिवार्य है। इसका भुगतान प्रमाण पत्र संलग्न करना आवश्यक है। नए भवन के लिए कब्जा प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate): नए या हाल ही में निर्मित भवनों के लिए यह प्रमाण पत्र दर्शाता है कि भवन रहने योग्य है और सभी आवश्यक निर्माण मानकों का पालन किया गया है। निर्माणाधीन भवन के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र (Completion Certificate): निर्माणाधीन संपत्ति के मामले में, यह प्रमाण पत्र दर्शाता है कि भवन का निर्माण निर्धारित योजनाओं और नियमों के अनुसार पूरा हो गया है। TDS कटौती प्रमाण पत्र (50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर): 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति के लेनदेन पर खरीदार को स्रोत पर कर कटौती (TDS) करनी होती है और इसका प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है। खरीदार और विक्रेता का पैन कार्ड व आधार कार्ड: पहचान और पता सत्यापन के लिए ये अनिवार्य दस्तावेज हैं। खरीदार और विक्रेता की पासपोर्ट साइज तस्वीरें: ये तस्वीरें दस्तावेजों पर लगाई जाती हैं और रजिस्ट्री प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं। खरीदार, विक्रेता और गवाहों का पहचान प्रमाण (ID Proof): पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान प्रमाण आवश्यक होते हैं। खरीदार, विक्रेता और गवाहों का पता प्रमाण (Address Proof): आधार कार्ड, बिजली बिल, पानी का बिल, पासपोर्ट जैसे पते के प्रमाण की आवश्यकता होती है। भारत में संपत्ति रजिस्ट्री की प्रक्रिया (Step by Step) भारत में संपत्ति की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को समझना खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे कानूनी पेचीदगियों से बच सकें। यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है: स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का निर्धारण: सबसे पहले, संपत्ति के बाजार मूल्य या समझौते में उल्लिखित मूल्य (जो भी अधिक हो) के आधार पर लागू स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क की गणना की जाती है। यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। दस्तावेजों का सत्यापन: खरीदार और विक्रेता दोनों द्वारा प्रस्तुत सभी कागज़ात, जैसे कि स्वामित्व विलेख, कर रसीदें, एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट आदि की गहन जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वैध और अमान्य नहीं हैं। इसमें संपत्ति के पिछले स्वामित्व इतिहास की जांच भी शामिल हो सकती है। सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकरण: सभी दस्तावेज तैयार होने और शुल्क का भुगतान होने के बाद, खरीदार, विक्रेता और कम से कम दो गवाहों को संबंधित क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होता है। यहां, सभी पक्ष दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं और बायोमेट्रिक सत्यापन (फिंगरप्रिंट और फोटो) किया जाता है। रजिस्ट्री पूर्ण होना: एक बार जब सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाती हैं और सब-रजिस्ट्रार द्वारा दस्तावेजों की जांच कर ली जाती है, तो संपत्ति के दस्तावेज आधिकारिक रूप से दर्ज कर दिए जाते हैं। खरीदार को रजिस्ट्री किए गए विलेख की एक प्रमाणित कॉपी प्राप्त होती है, जो उनके स्वामित्व का कानूनी प्रमाण होता है। 👉 इंदौर में, यह प्रक्रिया लोकल सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में पूरी होती है। इंदौर जैसे शहरों में, ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुकिंग और कुछ दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने की सुविधा भी उपलब्ध हो सकती है, जिससे प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके।मॉर्गेज (Mortgage) क्या है? मॉर्गेज का अर्थ है अपनी किसी अचल संपत्ति (जैसे घर या जमीन) को सुरक्षा के रूप में गिरवी रखकर किसी बैंक या वित्तीय संस्था से ऋण (लोन) लेना। इस व्यवस्था में, संपत्ति का स्वामित्व ऋणदाता के पास नहीं जाता, बल्कि Namo Legal Labs – इंदौर में आपका भरोसेमंद कानूनी साथी