Green Real Estate Laws in India, Sustainable Development Law, RERA Environment Compliance, Green Building Rules, Eco-friendly Construction India
भारत में रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ बढ़ रहा है पर्यावरणीय दबाव।
ऊर्जा की अधिक खपत, प्रदूषण और संसाधनों की कमी ने यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या विकास और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं?
इसी दिशा में उभर रहा है नया कॉन्सेप्ट — Green Real Estate, यानी ऐसा निर्माण जो टिकाऊ (sustainable), ऊर्जा-सक्षम और पर्यावरण-अनुकूल हो।
अब सवाल उठता है — इसकी कानूनी ज़रूरत क्यों बढ़ रही है?
रियल एस्टेट निर्माण पर्यावरण को सीधे प्रभावित करता है —
कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि
जल और भूमि प्रदूषण
ऊर्जा की अधिक मांग
इन्हीं कारणों से भारत में कई ग्रीन रियल एस्टेट कानून (Green Real Estate Laws in India) बनाए गए हैं, जैसे:
Environment Protection Act, 1986
Energy Conservation Building Code (ECBC), 2017
National Building Code (NBC)
और RERA में पर्यावरणीय प्रावधान
इन कानूनों का मकसद है कि हर नई बिल्डिंग Sustainable Development Law के अनुरूप बने।
RERA (Real Estate Regulation and Development Act) अब केवल पारदर्शिता का कानून नहीं है, बल्कि यह Green Compliance को भी बढ़ावा देता है।
अब बिल्डर्स को यह साबित करना होता है कि उनके प्रोजेक्ट्स में —
Rainwater Harvesting
Solar Energy Panels
Waste Management Systems
और Energy Efficient Designs शामिल हैं।
RERA इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग करता है ताकि हर निर्माण Eco-friendly Construction मानकों का पालन करे।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के SDG 11 (Sustainable Cities) और SDG 13 (Climate Action) के तहत प्रतिबद्धता जताई है।
इन्हें पूरा करने के लिए भारत में Green Building Rules लागू किए जा रहे हैं, जैसे:
GRIHA और IGBC Certification Systems
नगर निगमों द्वारा Green Building Approval Fast Track
ऊर्जा दक्षता मानकों का पालन
कई राज्य सरकारें अब ग्रीन बिल्डिंग्स को प्रोत्साहन देती हैं —
प्रॉपर्टी टैक्स में छूट
तेजी से अप्रूवल
और ESG-based funding support
Maharashtra, Kerala और Delhi में Green Certified Projects को विशेष लाभ दिए जा रहे हैं।
इससे डेवलपर्स के लिए ग्रीन रियल एस्टेट एक विकल्प नहीं, बल्कि निवेश का भविष्य बन गया है।
कई बार बिल्डर्स “ग्रीन” का झूठा दावा करते हैं — इसे कहते हैं Greenwashing।
इसे रोकने के लिए अब लागू किए जा रहे हैं:
Consumer Protection Act के अंतर्गत शिकायत प्रावधान
Advertising Standards Council of India (ASCI) की निगरानी
और जल्द आने वाले Green Claims Regulations
इससे उपभोक्ताओं को असली और नकली eco-friendly projects में फर्क समझने में मदद मिलेगी।
AI, IoT और Blockchain अब Green Compliance Monitoring में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
Smart Sensors से ऊर्जा उपयोग का ट्रैकिंग
IoT Devices से जल बचत और अपशिष्ट नियंत्रण
Blockchain से पारदर्शी बिल्डिंग सर्टिफिकेशन
भविष्य में “Green Real Estate Technology” भारत के कानून और नीति-निर्माण का केंद्र बनेगी।